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यदि मैं करोड़पति होता


मैं निर्धन परिवार में पैदा हुआ हूँ | मेरे माता - पिता एक टूटी - फूटी झोंपड़ी में रहते हैं | वह झोपड़ी भी ऐसी है जो वर्षा की रिमझिम में ही टपकने लगती है | दो समय का भोजन भी मुश्किल से मिल पता है | मैं ऐसा बालक जीवन में आनंद की सोच ही नहीं सकता | अभावों और भूख में बड़ा हुआ बालक क्या जाने जीवन का आनंद | मेरे पास पुरानी पुस्तकें खरीदने के लिए पैसे भी नहीं है, अपनी पढ़ाई को जारी रखना भी कठिन है | फिर भी मैं सपने देखता हूँ करोड़पति बनने के |

करोड़पति बनने की इच्छा मन में पैदा हुई है तो यह पूरी भी होगी | कभी तो दिन बदलेंगे | भाग्य पलटा खाएगा ही | लाटरी कभी तो मेरी निकलेगी ही | करोड़पति बनते ही मेरे जीवन का रूप ही बदल जाएगा | 

यदि मैं करोड़पति बन गया तो इससे मैं अपना जीवन ही बदल डालूँगा | मैं अपने माता - पिता को सारे सुख प्रदान करूँगा | इतना ही नहीं मेरे मित्रों के जीवन में आशा और उत्साह भर दूँगा | मैं उनकी भरपूर सहायता करता | उन्हें शिक्षा के लिए अच्छे - से - अच्छे साधन प्रदान करता | मैं अपने गाँव में एक आदर्श विद्यालय की स्थापना करता | उस विद्यालय को गरीब और परिश्रमी के बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा का प्रबंध करता | उस विद्यालय में मैं हर प्रकार की सुविधाएँ देने का प्रयत्न करता जिससे छात्रों का पूर्ण विकास हो सके | इतना ही नहीं मैं उस विद्यालय में योग्य अनुभवी, परिश्रमी और कर्तव्य का पालन करने वाले अध्यापकों की नियुक्ति करता | उन्हें भी हर प्रकार की सुविधाएँ देता जिससे वे निश्चित होकर शिक्षण - कार्य कर सकें | केवल धन कमाना ही उनकी शिक्षा का उद्देश्य नहीं होता | 

मैं अपने गाँव में एक अच्छा अस्पताल खुलवाता | उस अस्पताल में हर प्रकार की सुविधा का प्रबंध करता | छोटे - छोटे रोगों के इलाज के लिए मेरे गाँव के लोगों को शहर न भागना पड़ता | इतना ही नहीं, मैं उन डॉक्टरों से कहता कि वे रोगियों का इलाज करें | पर इतना काफी नहीं | वे रोगियों को यह भी बतलाएँ कि रोगों से कैसे बचा जा सकता है | मैं अस्पताल में विभन्न रोगों के इलाज के लिए समय - समय पर शिविर भी लगवाता | इन शिविरों में चिकित्सा में कुशल और अनुभवी डॉक्टरों को आमंत्रित करता और सभी रोगियों के लिए निःशुल्क चिकित्सा का प्रबंध करता |

मैं चाहता हूँ कि मेरा गाँव एक आदर्श गाँव हो | उसमें हर प्रकार की सुविधा हो | अच्छी पक्की सड़कें हो | गलियों की प्रकाश का प्रबंध हो | पीने के पानी की व्यवस्था हो | मेरी माँ बहनों को पीने का पानी लेने दूर - दूर न जाना पड़े |

मेरे दिमाग में अनेक योजनाएँ हैं, पर आज के मंहगाई के युग में एक करोड़ रुपए से साडी योजनाएँ पूरी नहीं हो सकती | स्कूल, चिकित्सालय, सड़कों और गलियों में प्रकाश पर एक बार खर्च ही काफी नहीं | उनकी व्यवस्था के लिए प्रतिवर्ष लाखों रुपए चाहिए | इसलिए मैं चाहता हूँ कि जो भी कार्य आरम्भ करूँ, उसे इस प्रकार करूँ कि वह भविष्य में भी चलता रहे | 

मेरी तो ईश्वर से यही प्रार्थना है कि हे प्रभु मुझे करोड़पति बना और साडी योजनाओं कि सही ढंग से पूरा करने और चलाने मि शक्ति दे |
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