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ग्रीष्मावकाश


जीवन में परिवर्तन ही आनंद का अनुभव करता है | सारा दिन कार्य करने के बाद रात को विश्राम जीवन में सुख प्रदान करता है | इसी प्रकार सारा वर्ष पढ़ाई और अन्य गतिविधियों के बाद जब ग्रीष्मावकाश आता है तो छात्र प्रसन्नता से झूम उठते हैं | ग्रीष्मावकाश उनके लिए वरदान बनकर आता है | परीक्षा के मानसिक और शारीरिक श्रम के बाद ग्रीष्मावकाश बच्चो को स्फूर्ति और आनंद प्रदान करता है |

ग्रीष्मावकाश को मनाने का भी सुन्दर ढंग होना चाहिए | कुछ विधार्थी अवकाश का सही अर्थ नहीं समझते और इसका दुरुपयोग करते हैं | वे न तो समय पर उठते हैं और न ही समय पर सोते हैं | सारा दिन उनका या तो सोने में व्यर्थ जाता है या गप्पे मरने में | वे कोई महत्त्वपूर्ण और उपयोगी कार्य करना अवकाश के दिनों में ठीक नहीं समझते | इसका परिणाम उनके लिए अच्छा नहीं होता | सुबह जल्दी उठकर सैर के लिए निकल जाना चाहिए | इससे मन और शरीर दोनों को शक्ति मिलती है और सारा दिन शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है |

हमें पुस्तकालय जाना चाहिए और वहाँ पर शिक्षाप्रद कथा-कहानियों की पुस्तके पढ़ना चाहिए जिससे हम दोपहर में अपना मनोरंजन भी कर सकते है साथ ही तेज धुप से भी बच सकते हैं | शाम को खेलने के लिए भी जरूर समय निकलना चाहिए जिससे हमारा मन भी प्रसन्न रहता है |

ग्रीष्मावकाश के समय हमें नानी , दादी के घर भी जाना चाहिए और उनके साथ समय बिताना चाहिए | इससे हमें बड़ो के साथ रहने को भी मिलता है साथ में उनसे बहुत कुछ सुनने को मिलता है नानी और दादी हमें पंचतंत्र की कहानियाँ भी सुनती है साथ में स्वादिष्ट व्यंजन भी खिलाती है |

ग्रीष्मावकाश के दौरान देशाटन - देश - घूमने का कार्यक्रम भी बनाना जा सकता है | सप्ताह - दो सप्ताह के लिए किसी पहाड़ी स्थान अथवा ऐतिहासिक स्थान पर घूमने के लिए जा सकता है | देशाटन से ज्ञान - वर्धन होता है, अपने देश के भगौलिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्वरूप का ज्ञान होता है | इससे मन और मस्तिष्क का विकास भी होता है |

इसी प्रकार ग्रीष्मावकाश के दौरान हम अपना समय का सदुपयोग कर सकते है | ये सारे कार्य बच्चों में उत्साह, विश्वास का भाव भरते हैं | ग्रीष्मावकाश में नियमित रूप से की हुई पढ़ाई आने वाले समय में बहुत उपयोगी होती है | इस प्रकार ग्रीष्मावकाश को सुखद और उपयोगी बनाया जा सकता है |

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