धातु चलाना
पठ – पढ़ना । पठ् एक धातु है, इसमें संस्कृत में प्रयोग करने के लिये चिन्ह लगाये जाते है,
व्यंजन हमेशा हलन्त होते है, जब इसमें स्वर जोड़ते है, तब यह पूर्ण शब्द बनता है । बिना स्वर की सहायता के कोई भी शब्द पूर्ण नही होता है । जैसे पठ् +अ= पठ ।
अब इसमे संस्कृत में प्रयोग करने के लिये चिन्ह लगायेगे ।पढ़ना एक क्रिया है, क्रिया के चिन्ह अलग होते है, तथा कर्ता के चिन्ह अलग होते है, जब क्रिया में चिन्ह लगाते है, उसे धातु रुप चलाना कहते है, जितनी भी क्रियाएँ होती है,सभी धातु कहलाती है ।
धातु रुप चलाने के चिन्ह इस प्रकार है –
वर्तमान काल परस्मैपद में धातु रुप चलाना –
धातु | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
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प्रथम पुरुष | ति | तः | अन्ति |
मध्यम पुरुष | सि | थः | थ |
उत्तम पुरुष | मि | वः | मः |
प्रथम पुरुष को अन्य पुरुष भी कहते है। इन चिन्हों को धातु में इस प्रकार जोड़ते है।
पठ् धातु चलाओ
धातु | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष | पठति | पठतः | पठन्ति |
मध्यम पुरुष | पठसि | पठथः | पठथ |
उत्तम पुरुष | पठामि | पठावः | पठामः |
गच्छ् धातु
धातु | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
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प्रथम पुरुष | गच्छति | गच्छतः | गच्छन्ति |
मध्यम पुरुष | गच्छसि | गच्छथः | गच्छथ |
उत्तम पुरुष | गच्छामि | गच्छावः | गच्छामः |
इस प्रकार सभी धातुओं में चिन्ह लगाकर चलाते है, तब इनका प्रयोग संस्कृत में अनुवाद करने के लिये करते है। इस प्रकार संस्कृत में अनुवाद होगा – अहम् गच्छामि - मैं जाता हूँ।
तुम जाते हो - त्वम् गच्छसि । वह जाता है – सः गच्छति ।