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अधिकरण एवं सम्बोधन का प्रयोग (Locative Case & Vocative Case)


अधिकरण एवं सम्बोधन का प्रयोग

अधिकरण कारक का प्रयोग


जहाँ पर क्रिया होती है, उस स्थान को अधिकरण कहते है।
अधिकरण नामपद में सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है । जैसे – विद्यालये = स्कूल में
सप्तमी विभक्ति के नामपदों के चिन्ह इस प्रकार है –

 
एकवचन  द्विवचन बहुवचन
रामे रामयोः रामेषु
छात्रे छात्रयोः छात्रेषु
खगे खगयोः खगेषु
देवे देवयोः देवेषु

संस्कृत वाक्यों मे प्रयोग –
मृगाः  वने चरन्ति  =  हिरण  जंगल में चरते है।
मुनिः आश्रमे  वसति = मुनि आश्रम में रहते है।
मुनिना सह शिष्याः अपि आगच्छन्ति  = मुनि के साथ शिष्य भी आते है।
शिष्याः मुनेः संस्कृतं पठन्ति  = शिष्य मुनि से संस्कृत पढ़ते है।

इस प्रकार अधिकरण विभक्ति का प्रयोग होता है, तथा 'में' इस अर्थ में प्रयुक्त होता है|


सम्बोधन  का प्रयोग  -

जब किसी को पुकारना हो अथवा सम्बोधित करना  हो तो सम्बोधन नामपद का प्रयोग किया जाता है।
सन्बोधन नामपद के चिन्ह प्रथमा विभक्ति के समान होतो है। अन्तर केवल एकवचन में होता है।  ‘हे’  ‘ओ’ ‘अरे’  इस अर्थ में  सम्बोधित किया जाता है।

संस्कृत वाक्यों मे प्रयोग –
हे ईश्वर ,अस्मान् सर्वान् रक्ष । 
मोहनः त्वम् किम् पठसि ।
देव , आवाम् कुत्र गच्छावः ।
देवेश्वर , त्वं मा धाव ।
विभक्तियाँ  सात ही होती है, सम्बोधन को विभक्ति में नही माना गया है।

 

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