Sep 11,2023
'अजो नित्यं शाश्वतो अयं पुराणों,
न हन्यते हन्यमाने शरीरे।'
श्रीकृष्ण द्वारा गीता में कहा गया यह श्लोक हजारों अनुवाद करने के बाद भी इस वाक्य के शाश्वत अर्थ में प्रवेश नहीं कर सके। यह शब्द श्री कृष्ण जी के मुखारविंद से निकले सनातन ब्रह्माण्ड है। सनातन द्युलोक से उतरा हुआ ज्योति निर्झर है। सनातन का अर्थ है अजर अमर और अखंड। यह तब भी था जब आदिम ऋषि नहीं थे। सनातन धर्म ऋषियों का बनाया हुआ नहीं है,यह उनके द्वारा श्रद्धा पूर्वक देखा गया धर्म है। ऋषियों ने अपने अंत: चक्षुओं से सनातन को देखा।यह उन्हें कभी प्रज्वलित अग्नि में दिखाई दिया कभी उषा की उन पवित्र रश्मियों में जो रोज धरती पर आती है हमें जगाने के लिए।
अतः यह वाक्य शाश्वत है, नित्य है,अजर अमर है इसको कभी मिटाया नहीं जा सकता। यह योगेश्वर श्रीकृष्ण जी का अटल कर्मयोग है।